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{{KKRachna
|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=रेयाज उल हक
|संग्रह=सवालों की किताब / पाब्लो नेरूदा
}}
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<poem>
किसलिए ठहरा रहता है शाखों पर
जब तक झड़ नहीं जातीं पत्तियाँ ?

और इसके पीले पतलून लटकते हुए
कहाँ रह गए हैं ?

क्या यह सच है कि पतझड़ दिखता है बाट जोहता
कि कुछ हो जाए ?

शायद काँप उठे एक पत्ती
या घूम उठे ब्रह्माण्ड ?

धरती के भीतर का चुम्बक
क्या पतझड़ का चुम्बक भाई है ?

धरती के नीचे किस वक़्त
गुलाब को मिला उसका ओहदा ?
</poem>
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