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15:08, 21 जनवरी 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अपअललोन ग्रिगोरिइफ़
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
उन्होंने मुझे
इतना सताया,
कि मैं मौत को भी
न भाया ।
कुछ ने अपना
प्रेम जताया,
और कुछ ने
अपना वैर दिखाया ।
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
'''और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
Аполло́н Григо́рьев
Они меня истерзали… (из Гейне)
Они меня истерзали
И сделали смерти бледней, —
Одни —
своею любовью,
Другие —
враждою...
</poem>