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रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
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/* गीत-नवगीत */
* [[जब कोई श्यामल सी बदली, सपनों में छाया करती है! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’]]
* [[मन की वीणा को निद्रा में, अभिनव तार सजाने दो! / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’]]
* [[गधे बन गए, अरबी घोड़े / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’]]
अनिल जनविजय
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