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15:50, 30 मार्च 2022 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रभात
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जैसे कोई मुख़बिर पुलिस को बताता हो
ऐसे ही बताया उसने मुझे फ़ोन पर
आलम तुम्हारे नम्बर माँग रहा था
मैंने तो मना कर दिया
फिर भी किसी से नम्बर लेकर
तुमसे मिलने की कोशिश करे तो मिलना मत
वह मुसीबत में है
उस पर ढाई तीन लाख का क़र्ज़ है
उसे पाँच हज़ार रुपये की ज़रूरत है
देना मत पैसा वापस नहीं आएगा
आलम के ख़िलाफ़ मुख़बिरी कर रहा यह आदमी
गाँव का एक रईस था
आलम के वालिद ने जिसकी
ताउम्र ताबेदारी की थी
ग़रीबों के ख़िलाफ़ अब
यही आलम था आलम
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