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आधुनिक लोककथा / बैर्तोल्त ब्रेष्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य
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07:59, 30 अप्रैल 2022
कितने मरे, लाशें बिखरी जहाँ-तहाँ
दोस्त, और दुश्मनों की चिताएँ
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और रोती रही माताएँ
कोई यहाँ – और कोई वहाँ ।
अनिल जनविजय
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