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ओळख / चंद्रप्रकाश देवल

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|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
म्हारैं अठै नाजी हा इज कोनी
तगड़ नै बारै कढण रौ जोखम नीं हौ
अर हा जिकां नै म्हे सावळ
ओळखता नीं हा

असल में
निवेड़ौ अेक अणूंतौ बोझाळू सबद है
खराखरी वौ व्है
रगत मांयला लोह सूं भारी
अळगै सूं
सियाळै निजर-तप तापता
निवास मैसूसता म्हे
रह्या हरमेस खाली
हां, आज री घड़ी खाली

खाली जांणै आटौ रौ पीपौ
खाली जांणै देह रौ ठांम
खाली जांणै झंडा री थोथ
खाली जांणै गुलांम री जात-गोत
खाली जांणै इतियास बारली तिथ
खाली जांणै धाप नै रोयां पूठै आंख।
</poem>
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