627 bytes added,
00:24, 26 जुलाई 2022 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कृष्णकुमार ‘आशु’
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-5 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
मा काढती
पैली रोटी
गा री पांती
मा रै जावण पछै
कई बार
घर आळी भूल जावै
गा री पांती री
रोटी काढणी।
बीं दिन
म्हनै लागै कै
आज फेर भूखी रै'गी मा।
</poem>