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स्मृति / निकअलाय ज़बअलोत्स्की / अनिल जनविजय
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12:56, 2 अगस्त 2022
वहाँ कभी सुनाई न देती भुर्जवृक्ष की फुसफुसाहट
जिसका मोटा तना बर्फ़ में कहीं गहरे धँसा हुआ
है
।
वहीं उसके ऊपर फैली है पाले के घेरे की सुरसुराहट
तैर रहा जिसमें लहूलुहान-सा चन्द्रमा फँसा
हुआ है
हुआ
।
1952
अनिल जनविजय
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