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हताशा का गीत / पाब्लो नेरूदा / अशोक पाण्डे
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19:24, 30 अक्टूबर 2022
जहाज़ के अगले हिस्से में खड़े नाविक जैसी
तुम अब भी पल्लवित हुई गीतों में , तुम अब भी टूटी धाराओं में
ओ अवशेषों की गर्त, विस्फारित कटु कूप ।
अनिल जनविजय
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