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ये गगन, ये धरा सब तुम्हारे लिए / डी .एम. मिश्र
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16:56, 15 दिसम्बर 2022
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ये गगन , ये धरा सब तुम्हारे लिए
आ रही जो
दिल से निकले
सदा सब तुम्हारे लिए
भेज दो आंधियों को हमारी तरफ़
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