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|रचनाकार=रामकुमार कृषक
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|संग्रह=सुर्ख़ियों के स्याह चेहरे / रामकुमार कृषक
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<poem>
एक दुर्घटना बचाते
दूसरी से ग्रस्त हो जाना
बहुत सम्भव !

बहुत सम्भव
होश आना इस तरह से
होश खोना
क्रुद्ध लहरों से निकल
होना भँवर का,
और फिर
उसको हराते / हारते ख़ुद

पस्त हो जाना
बहुत सम्भव !

बहुत सम्भव
आग से दहते बदन पर
डालना जल
उधड़ जाना
चाक करना चीख़ बन
नभ का कलेजा,
और फिर
उसको कँपाते / काँपते ख़ुद

त्रस्त हो जाना
बहुत सम्भव !

7-9-1976
</poem>
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