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आह, वो ख़ूबसूरत बान्धवियाँ / येव्गेनी रिज़निचेंका / अनिल जनविजय
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16:49, 18 जनवरी 2023
चेहरे पे एक मुखौटा-सा है, आकुल-व्याकुल सा है यौवन
बारीक और महीन बुनाई के घूँघट से ढका हुआ चेहरा
तेरे
और
गुस्से में जो प्यार छुपा, है वही रति का पंचशर घेरा
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
अनिल जनविजय
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