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11:36, 25 फ़रवरी 2023 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव
|अनुवादक=मदनलाल मधु
|संग्रह=मेरा दग़िस्तान / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
स्वर्ण - सुनहरे धागों के गोले जैसी — बिटिया है मेरी ।
रजत - रुपहले चमचम करते फ़ीते - सी — बिटिया है मेरी ।
ऊँचे पर्वत पर जो चमके चन्दा - सी — बिटिया है मेरी ।
पर्वत पर जो उछले कूदे, उस बकरी - सी — बिटिया है मेरी ।
कायर - बुजदिल दूर हटो तुम
नहीं मिलेगी कायर को — बिटिया मेरी ।
झेंपू फाटक पर घूमो
नहीं मिलेगी झेंपू को — बिटिया मेरी ।
वासन्ती, चटकीले सुन्दर फूलों-सी — बिटिया है मेरी ।
वासन्ती, सुन्दर फूलों की माला-सी — बिटिया है मेरी ।
हरित तृणों के कोमल क़ालीनों जैसी — बिटिया है मेरी ।
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'''रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु'''
</poem>