गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
और तुम सोच रहे थे, मैं भी वैसी ही हूँ / आन्ना अख़्मातवा / अनिल जनविजय
6 bytes added
,
17:13, 7 जून 2023
तुम्हारे पास लौटने की अब होगी नहीं रसम ।
जुलाई 1921, त्सर्सकोए
सेला
स्येला
'''मूल रूसी भाषा से अनूदित : अनिल जनविजय'''
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,345
edits