Changes

[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
बन्दर मामा पहन पजामा
जा रहे थे ससुराल |
रस्ते में मिल गये भालूजी
लगने पूछने हाल।
 
भरे गले से मामा बोले.
क्या बतलाऊँ भाई।
बँदरिया रानी की एक-
दिन हमसे हुई लड़ाई।
 
कान दबाकर हम बैठ गए
जब कोने में डर से ।
पहन घाघरा उठा अटैची
वह निकल गई घर से
 
भालू बोला- मत घबराओ
मैं भी चलूँगा साथ
दोनों जब समझाएँगे, तो
बनेगी बिगड़ी बात ।
 
बन्दर की ससुराल पहुँच
भालू ने 'नाच दिखाया
ठुमक ठुमककर, घुमक-घुमककर
उनमें मेल कराया
'''-0-(1-2-1978 -बाजार-पत्रिका)'''
</poem>