Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कानेको मिसुजु |अनुवादक=तोमोको कि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कानेको मिसुजु
|अनुवादक=तोमोको किकुची
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
फूलों के झड़ जाने के बाद,
हर फूल की आत्मा फिर से जन्म लेती है
भगवान बुद्ध के बग़ीचे में ।

स्नेही फूल को जब भी सूर्य बुलाता,
वह सहसा खिलकर मुस्कुराता,
तितलियों को मीठा मकरन्द देता,
इनसानों को अपनी भरपूर सुगन्ध ।

हवा जब भी बुलाती —
इधर आओ ।
सहृदय फूल उसके पीछे-पीछे चल पड़ता ।

इतना ही नहीं,
सूखा फूल भी
बच्चों के काम आ जाता —
खेल-कटोरी में एक व्यंजन बन जाता ।

'''मूल जापानी से अनुवाद : तोमोको किकुची'''
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits