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16:22, 22 जनवरी 2024 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=कुमार सौरभ
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<poem>
हवा में बुनियादी मुद्दे हैं
हवा आप भी खाइए
रामलला दुविधा में न पड़िए
हो निश्चिंत विराजिए
भूख बेकारी लाचारी और
सारे दुख हैं अभी हराम
आएँ मिलकर धुजा उठाएँ
बोलें जय-जय-जय श्री राम!
<poem>