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दुख हैं अभी हराम / कुमार सौरभ
Kavita Kosh से
हवा में बुनियादी मुद्दे हैं
हवा आप भी खाइए
रामलला दुविधा में न पड़िए
हो निश्चिंत विराजिए
भूख बेकारी लाचारी और
सारे दुख हैं अभी हराम
आएँ मिलकर धुजा उठाएँ
बोलें जय-जय-जय श्री राम!