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बोझ सदी के ढोए / मधु शुक्ला
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29 जनवरी
{{KKRachna
|रचनाकार=मधु शुक्ला
|अनुवादक=
२९ जनवरी १९६४
|संग्रह=
}}
बरसों से पहुँनाई ।
दो पल के जीवन की खातिर
बोझ सदी के
ढोए।
ढोए ।
</poem>
अनिल जनविजय
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