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21:31, 4 फ़रवरी 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रसूल हम्ज़ातव
|अनुवादक=मदनलाल मधु
|संग्रह=
}}
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<poem>
मेरे घर की अगर उपेक्षा, कर तू जाए, राही !
तुझ पर बादल-बिजली टूटें, तुझ पर बादल बिजली !
मेरे घर से अगर दुखी मन, हो तू जाए, राही !
मुझ पर बादल-बिजली टूटें, मुझ पर बादल-बिजली !
'''रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु'''
</poem>