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कस्बे सभी अब शहर हो गए हैं<br />यंहां आदमी अब मगर हो गए हैं<br />
हँसी बन्दिनी हो गई है कहीं पर<br />नयन आँसुओं के नगर हो गए हैं<br />
कहो रौशनी से कि मातम मनाये<br />अँधेरे यंहां के सदर हो गए हैं<br />
विषपाइयों कि पीढी से कह दो<br />सुकरात मर कर अमर हो गए हैं<br />