गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जग ने कैसा मुझको बना दिया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
2 bytes added
,
26 फ़रवरी
रब ने वैसा मुझको बना दिया।
गा
गाकर
-गा कर
सबने इसकी महिमा,
केवल पैसा मुझको बना दिया।
भूल हुई दुनिया से तो भुगते,
क्योंकर
क्यों कर
ऐसा मुझको बना दिया।
मान ख़ुदा लूँगा उसको जिसने,
मेरे जैसा मुझको बना दिया।
</poem>
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits