851 bytes added,
17 मार्च {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नेहा नरुका
|अनुवादक=
|संग्रह=फटी हथेलियाँ / नेहा नरुका
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैंने सुना था
इस दुनिया में
कुछ भी मुफ़्त में नहीं मिलता
हर मुफ़्त चीज़ की क़ीमत
कभी न कभी
चुकानी होती है
इसलिए मैंने
चीज़े नहीं ख़रीदीं
प्रेम किया
बदले में मुझे
'और अधिक प्रेम' मिला
इस प्रेम में
'अधिक' की क़ीमत
मुझे ज़िन्दगी भर चुकानी पड़ी ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader