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परों को काट कर सुनवाइयाँ करने लगा कातिल / विकास
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15:57, 20 नवम्बर 2008
<Poem>
परों को
काट्कर
काटकर
सुनवाइयाँ करने लगा क़ातिल
परिन्दे हैं बहुत मासूम यह कहने लगा क़ातिल
गंगाराम
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