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20:18, 6 मई 2024 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एरिष फ़्रीड
|अनुवादक=प्रतिभा उपाध्याय
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कविता है सच्ची
दुनिया है झूठी
मिटाता हूँ मैं अनावश्यक
आवश्यक हो जाता है
स्पष्ट
दुनिया मिटाती है आवश्यक
अनावश्यक हो जाता है
धुँधला
दुनिया से लगता है
डर मुझे
कमज़ोर है वह
कविता से भी।
'''मूल जर्मन से अनुवाद - प्रतिभा उपाध्याय'''
</poem>
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