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04:03, 7 मई 2024 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=शिव कुमार बटालवी
|अनुवादक=आकाश ’अर्श’
|संग्रह=
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<poem>
रात कटी गिन तारा तारा
हुआ है दिल का दर्द सहारा
रात फुँका मिरा सीना ऐसा
पार अर्श के गया शरारा
आँखें हो गईं आँसू आँसू
दिल का शीशा पारा-पारा
अब तो मेरे दो ही साथी
इक आह और इक आँसू खारा
मैं बुझते दीपक का धुआँ हूँ
कैसे करूँ तिरा रौशन द्वारा
मरना चाहा मौत न आई
मौत भी मुझ को दे गई लारा
छोड़ न मेरी नब्ज़ मसीहा
बाद में ग़म का कौन सहारा
'''मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : आकाश ’अर्श’ '''
</poem>
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