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00:29, 19 जून 2024 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विजयाराजमल्लिका
|अनुवादक=सन्तोष कुमार
|संग्रह=
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<poem>
बेटा बेटी भी हो सकता है
और बेटी बेटा भी,
ओ अम्मां !
स्वीकारो अपनी सन्तान को
उन्हें वैसे ही, जैसे वे हैं
तुम बिन
कौन हिम्मत करेगा
तुम सा निर्दोष, निष्कलंक, सिद्ध …
और परिपूर्ण, इस जगत में
और कौन है भला !
'''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सन्तोष कुमार'''
</poem>