भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

माँ के नाम / विजयाराजमल्लिका / सन्तोष कुमार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बेटा बेटी भी हो सकता है
और बेटी बेटा भी,

ओ अम्मां !
स्वीकारो अपनी सन्तान को
उन्हें वैसे ही, जैसे वे हैं

तुम बिन
कौन हिम्मत करेगा
तुम सा निर्दोष, निष्कलंक, सिद्ध …

और परिपूर्ण, इस जगत में
और कौन है भला !
 
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सन्तोष कुमार