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अन्धेरी निशा में नदी के किनारे / सरयू सिंह 'सुन्दर'
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15:01, 17 जुलाई 2024
लुटी जा रही हैं किसी की बहारें,
दहक कर किसी की चिता जल रही है ।
1953
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अनिल जनविजय
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