गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अब मौन चाहता हूँ मैं / पाब्लो नेरूदा / अनिल जनविजय
1 byte added
,
22 जुलाई
तुम्हारी आँखों से झरता है वसन्त
दोस्तो, मैं तो, बस,इतना ही चाहता हूँ
कहने को कुछ भी तो नहीं है ये
लेकिन यही तो सब कुछ है असल में
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,594
edits