यदि जान भी लोगे, तो क्या कर लोगे?
सच- खाली होती पंचाचतों पंचायतों स्कूलों का,
सूखते स्रोतों, खोते बुराँस के फूलों का,
बुनते हुए सड़को के अर्थहीन जालों का,
यदि जान भी लोगे, तो क्या कर लोगे?
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ब्रज अनुवादः
जो जानि ऊ लैहौ, तौ का करि लैहौ?/ रश्मि विभा त्रिपाठी
जो जानि ऊ लैहौ, तौ का करि लैहौ?
साँच पीर मैं कराहत धराधरनि कौ
दरद खेतनि सौं पेट न भरिबे कौ
बासननि गागरनि के प्यासे रहिबे कौ
घरनि के ऊजर रीते हैबै कौ
वननि के कटिबे वानर राज हैबे कौ
जो जानि ऊ लैहौ, तौ का करि लैहौ?
साँच सड़कनि पै सजति मौतनि कौ,
रोवत ललनि अरु सुसुकति महरियनि कौ
रीते होत गामनि अरु धधकत वननि कौ,
हिरावत अपुनपौ, संवेदनहीन नातनि कौ
जो जानि ऊ लैहौ, तौ का करि लैहौ?
साँच रीती होतिं पंचायतनि स्कूलनि कौ
सूखत सोतनि हिरात बुराँस के फूलनि कौ
बुनत भए सड़कनि के अरथहीन जालनि कौ
बिचत मूल्य, उफनत राजनेतनि के बचननि कौ
जो जानि ऊ लैहौ, तौ का करि लैहौ?
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