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"... चेहरे" / सानु शर्मा / सुमन पोखरेल
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13:26, 26 अगस्त 2024
उद्धरण चिन्हों के भीतर छिपे वाक्यांश।
मेरे मस्तिष्क में
सताता
उठता
रहता है एक सवाल -
क्या ये चेहरे किसी दिन
स्वयं ही मुखौटे से बाहर आएंगे, या
०००
[["... अनुहारहरू" / सानु शर्मा|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको मूल नेपाली पढ्न सकिनेछ]]
</poem>
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