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{{KKRachna
|रचनाकार=हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर
|अनुवादक=सुरेश सलि‍ल
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<poem>
हम फ़रियाद नहीं कर सकते
हम बेकार नहीं हैं
हम भूखे नहीं रहते
हम खाते हैं

घास बाढ़ पर है
सामाजिक उत्‍पाद‍
नाख़ून
अतीत

सड़कें ख़ाली हैं
सौदे हो चुके हैं
साइरन चुप हैं
यह सब गुज़र जाएगा ।

मृतक अपनी वसीयतें कर चुके हैं
बारिश ने झींसी की शक़्ल ले ली है
युद्ध की घोषणा अभी तक नहीं हुई है
उसके लिए कोई हड़बड़ी नहीं है

हम घास खाते हैं

हम सामाजिक उत्पाद खाते हैं
हम नाख़ून खाते हैं
हम अतीत खाते हैं

हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं है
हमारे पास चूकने को कुछ नहीं है
हमारे पास कहने को कुछ नहीं है
हमारे पास है

घड़ी में चाबी दी जा चुकी है
बिलों का भुगतान किया जा चुका है
धुलाई की जा चुकी है
आख़िरी बस गुज़र चुकी है

वह ख़ाली है

हम शिकायत नहीं कर सकते

हम आख़ि‍रकार किस बात का इन्तज़ार कर रहे हैं ?

'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलि‍ल'''
</poem>
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