गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
तेरे सर से तेरी बला जाए जब तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
3 bytes removed
,
4 फ़रवरी
छले जा छले जा छला जाए जब तक
गला तेरा अच्छाई
घोंटेगी
घोटेगी
इक दिन
बुराई में पल तू पला जाए जब तक
सनम तू जले जा जला जाए जब तक
'रक़ीब' आतिशे ग़म बना
देगी कुन्दन
गले जाओ पल पल गला जाए जब तक
</poem>
SATISH SHUKLA
488
edits