Changes

हसरत-ए-दीद दिल की, रही दिल में ही
रुख से अपनी ज़ुल्फ़ों को तू ने हटाया सवारा नहीं
बू-ए-गुल की तरह है मिरी ज़िन्दगी
आज है कौन दुनिया में ऐसा 'रक़ीब'
गर्दिशे वक़्त ने जिसको मारा नहीं
 
</poem>
481
edits