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सोचता हूँ प्यास ये कैसे बुझाऊँ / डी. एम. मिश्र
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2 मार्च
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=
सोचता हूँ प्यास ये कैसे बुझाऊँ
सच कहना यूँ अंगारों पर चलना होता है
/ डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
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