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स्वयं अपने ही नीचे दबे हम / ओसिप मंदेलश्ताम
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शनिवार को 18:52 बजे
उस असेटियावासी की चौड़ी हो जाती है छाती
1934
1933
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
Что ни казнь у него — то малина
И широкая грудь осетина.
1933 г.
</poem>
अनिल जनविजय
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