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|रचनाकार=भव्य भसीन
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साँवरी सलोनी सूरत हृदय समाई री।
बिखरी अलक छुपी पलक झपाई री।
अधरन लाली प्यारी मृदु मुस्कान री।
कदम्बन कुंडल कानन सजाय री।
साँवरी...
चंदन का टीका मोती नासिका पर धवल ।
उरझी उरझी घुँघवारी पँखिया विराज री।
साँवरी...
चल सखी जमुना तीरे जित मेरो श्याम री।
निकट बिठाऊँ करूँ भर भर प्यार री।
साँवरी...
</poem>