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सुबह-सुबह / मरीना स्विताएवा
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क्षत-विक्षत ईगर के लिए रोती है दिव
'''
अन्तिम पंक्ति=
रूसी साहित्य की सबसे पुरातन कृति "ईगर सैन्य-अभियान गाथा" में वर्णित एक घटना
।
की चर्चा है यहाँ।
रचनाकाल : 17 मार्च 1922
'''मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह
अनिल जनविजय
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