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इस क़दर मुसलसल थीं शिद्दतें जुदाई की / फ़राज़
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05:17, 1 दिसम्बर 2008
तज दिया था कल जिन को हमने तेरी चाहत में <br>
आज
उन हसीनों से
उनसे
मजबूरन ताज़ा आशनाई की <br><br>
हो चला था जब मुझको इख़्तिलाफ़ अपने से <br>
Ranjanjain
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