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फ़्यूज़ बल्बों का मेला लगा है / ज्ञान प्रकाश विवेक
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15:23, 3 दिसम्बर 2008
दर्द का चाँद बुझने लगा है
चिठ्ठ्याँ
चिठ्ठियाँ
हैं अधूरे पते की
डाकिया कुछ परेशान-सा है
द्विजेन्द्र द्विज
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