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हम सुपारी-से / कुँअर बेचैन
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06:27, 4 दिसम्बर 2008
काल-घर जाता हुआ मेहमान
चार कंधों की
रेजगारी-से।
बचपना-ज्यों सूर, कवि रसखान
है बुढ़ापा-रहिमना का ग्यान
दिन जवानी के
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