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तीर कुछ इस तरह चलाते हैं / जहीर कुरैशी
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18:53, 17 दिसम्बर 2008
लोग आँखों से सुन भी लेते हैं
फूल जिस
वक्त
वक़्त
खिलखिलाते हैं
जिनके दस
-
बीस नाम होते हैं
वे पचीसों पते बताते हैं
लोग सपनों में जाग जाते हैं
आप
कागज
काग़ज़
के फूल हैं शायद
मुस्कुराते ही मुस्कुराते हैं !
अनिल जनविजय
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