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भीड़ में सबसे अलग / जहीर कुरैशी
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,
18:57, 17 दिसम्बर 2008
* [[कुछ चुहल, कुछ हँसी हो गई / जहीर कुरैशी]]
* [[जब तलक फूल के वंशधर शेष हैं / जहीर कुरैशी]]
* [[कई
खुश्बू
ख़ुशबू
भरी बातों से मिलकर / जहीर कुरैशी]]
* [[एक,दो ,तीन के बाद में चार हो / जहीर कुरैशी]]
* [[उसको घर लौट आना ही था / जहीर कुरैशी]]
अनिल जनविजय
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