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01:41, 29 दिसम्बर 2008 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विनय प्रजापति 'नज़र'
}}
[[category: रूबाई]]
<poem>
'''लेखन वर्ष: २००३
हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी
जिसको लोहा कहा गया था
मगर जब उतरे बर्ग़े-बहार
दोस्ताना मोर्चा खा गया था
'''बर्ग़े-बहार'''= बहार के पत्ते, '''मोर्चा'''= जंग, rust
</poem>