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<poem>
 
'''लेखन वर्ष: २००३
 
हमारी दोस्ती बहुत गहरी थी
जिसको लोहा कहा गया था
 
मगर जब उतरे बर्ग़े-बहार
दोस्ताना मोर्चा खा गया था