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फूलों की शोखी़ से तेरी याद जवाँ होती है/ विनय प्रजापति 'नज़र'
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23:09, 29 दिसम्बर 2008
जो देख-भर ले फ़िदा उसकी जाँ होती है
चांद
चाँद
को देखता हूँ जब भी ज़रा ग़ौर से
उसमें भी शक़्ल आपकी अयाँ होती है
विनय प्रजापति
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