'''3.
साक़िया तुझको सदा भाता रहूं रहूँ तेरे हाथों से सुरा पाता रहूंरहूँइच्छा पीने की सदा जिंदा ज़िन्दा रहेऔर मयख़ाने तेरे आता रहूंरहूँ
'''4.
'''5.
ज़िंदगी ज़िन्दगी है, आत्मा है, ज्ञान है
मदभरा संगीत है औ' गान है
सारी दुनिया के लिए ये सोमरस
'''6.
मधु बुरी - उपदेश में गाते हैं सबमैं कहूं कहूँ छुप-छुप के पी आते हैं सब
पी के देखी मधु कभी पहले न हो
खामियाँ कैसे बता पाते हैं सब
'''7.
जब चखोगे चख़ोगे दोस्त तुम थोड़ी शराब
झूम जाओगे घटाओं से जनाब
तुम पुकार उट्ठोगे मय की मस्ती में
जब भी जीवन में हो दुख से सामना
हाथ साक़ी का सदा तू थामना
खिल उठेगी दोस्त तेरी जिंदगीज़िन्दगी
पूरी हो जाएगी तेरी कामना
'''9.
बेझिझक होकर यहां यहाँ पर आइए
पीजिए मदिरा हृदय बहलाइए
नेमतों से भरा है मधु का भवन
कौन कहता है कि पीना पाप है
कौन कहता है कि यह अभिशाप है
गुण सुरा के शुष्क जन जाने कहांकहाँ
ईश पाने को यही इक जाप है।
हर किसी की बद्दुआ लेते नहीं
क्रोध सारा मस्तियों में घोल दो
पी के मदिरा गालियां गालियाँ देते नही।
'''13.
बेतुका हर गीत गाना छोड़ दो
शोर लोगों में मचाना छोड़ दो
गालियां गालियाँ देने से अच्छा है यही
सोम-रस पीना-पिलाना छोड़ दो
ज़ाहिदों की इतनी भी संगत न कर
ना- नहीं की इतनी भी हुज्जत न कर
एक दिन शायद तुझे पीनी पड़े
दोस्त, मय से इतनी भी नफ़रत न कर
पीजिए मुख बाधकों से मोड़कर
और उपदेशक से नाता तोड़ कर
जिंदगी ज़िन्दगी वरदान सी बन जाएगी
पीजिए साक़ी से नाता जोड़कर
'''19.
मधु बिना कितनी अरस है जिंदगीज़िन्दगी
मधु बिना इसमें नहीं कुछ दिलक़शी
छोड़ दूं दूँ मधु, मैं नहीं बिल्कुल नहीं
बात उपदेशक से मैंने ये कही
'''21.
खोलकर आंखें आँखें चलो मेरे जनाब
आजकल लोगों ने पहने है नकाब
होश में रहना बड़ा है लाज़िमी
ओस भीगी सी सुबह धोई हुई
सौम्य बच्चे की तरह सोई हुई
लग रही है कितनी सुंदर सुन्दर आज मधु
मद्यपों की याद में खोई हुई