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शाम के साहिल से उठकर चल दिए / ओम प्रभाकर
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17:10, 15 जनवरी 2009
'''शब्दार्थ:
मक़्तल=वधस्थल; अज़ाने बेनवा=निशब्द अज़ान; मीनारो-मिम्बर=मस्जिद में वह ऊँचा स्थान जहाँ से अजान दी जाती है; मुअत्तर=सुवासित
</poem>
अनिल जनविजय
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