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तुम बिखर गए क्यों / अवतार एनगिल
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|रचनाकार=अवतार एनगिल
|एक और दिन / अवतार एनगिल
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अरे ओ !
महकती पत्तियों वाले
काले ग़ुलाब!
इतना तो बता दो
कि तनिक मुस्कराते ही
तुम
इस तरह
पत्ती-पत्ती
बिखर गये क्यों ?
</poem>
प्रकाश बादल
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