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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |एक और दिन / अवतार एनगिल }} <poem> अरे ओ ! मह...
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{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|एक और दिन / अवतार एनगिल
}}
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अरे ओ !
महकती पत्तियों वाले

काले ग़ुलाब!
इतना तो बता दो
कि तनिक मुस्कराते ही
तुम
इस तरह
पत्ती-पत्ती

बिखर गये क्यों ?
</poem>
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